रविवार, 23 जनवरी 2011

बगड़ावतों के बारे में कुछ और

प्राचीन साहित्य के अनुसार गुर्जर छत्रपति चौहान वंश से सम्बंधित हैं | 24 बगड़ावतों में में सबसे मशहूर सवाई भोज जी ने देखा नाग पहाड़ पर गायों का एक झुण्ड रोज नाग पहाड़ पर आता है और चारा चर कर  वापस चला जाता है | एक दिन सवाई भोज जी यह जानने के लिए कि गायों यह झुण्ड आता कहाँ से है उनके पीछे चल दिए और उन्होंने पाया कि एक जोगी रूपनाथ उन गायों का दूध का उपभोग कर रहा है |
 
 
जोगी ने सबाई भोज को उस दूध के बदले अनाज से भरी एक बोरी दी लेकिन वे  उस अनाज का एक दाना भी उपयोग में नहीं लाए | अगले दिन उन्होंने सारा अनाज पक्षियों को चुगा दिया | नेवाजी जो कि सबाई भोज जी के छोटे भाई थे उन्होंने देखा कि जो दाने उन्होंने पक्षियों के लिए डाले थे उनमे से कुछ कीमती पत्थरों में परिवर्तित हो गए है | वे अपनी मूर्खता पर पछताते हैं और सारे रत्न उस जोगी को देकर उसके शिष्य बन जाते हैं | एक दिन जोगी रूपनाथ ने एक तपते हुए तेल की कढ़ाई की व्यवस्था की और सबाई भोज को आदेश दिया की वे इस कढ़ाई के चारों और परिक्रमा लगाये |
 
 
जब सबाई भोज कढ़ाई की परिक्रमा लगा रहे थे तभी जोगी रूपनाथ ने उन्होंने उस कढ़ाई में धक्का देने का प्रयास किया लेकिन सबाई भोज अपने चरवाहे साथियों की मदद से उसके ऊपर आ गए | इसके बाद सबाई भोज ने रूपनाथ को कढ़ाई में धक्का दे दिया और रूपनाथ कढ़ाई में जा गिरे , कढ़ाई में गिरते ही जोगी रूपनाथ का शरीर स्वर्ण में परिवर्तित हो जाता है | सबाई भोज अपने किये पर बहुत पछताते हैं जोगी ने सबाई भोज  को समझाया की यह स्वर्ण उनके लिए उपहार है जो कि उनके साथ बारह वर्षों तक रहेगा और उसके बाद काया और माया और दोनों नष्ट हो जायेंगे |
 
 
जोगी ने उन्हें एक बाबली घोड़ी,एक गाय सुरमाता , और एक हाथी जो की जयमंगला नाम का था भी विशेष उपहार के रूप में दिए .सबाई भोज वह धन लेकर अपने घर पहुचे और अपने भाइयों से पूछा की इस धन का उन्हें क्या करना चाहिए ? तेजाजी जो कि बड़े भाई थे उन्होंने सलाह दी कि इस धन को गाढ़ देना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर निकाल लेना चाहिए लेकिन नेवाजी ने कहा कि इस धन का उपयोग कुए और बावड़ियाँ बनवाने में और अच्छे कर्मों में लगाना चाहिए जिससे कि हमारा नाम होगा वैसे भी  बारह वर्ष में धन और आयु दोनों ही नष्ट हो जायेंगे |और उन्होंने उस धन को पुण्य कर्मो में लगा दिया | बहुत ही ज़ल्द उनकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फ़ैल गयी | और उनके दुश्मन बढ़ने लगे |
 
रण क्षेत्र का राजा दुर्जनसाल बगड़ावतों का धर्म भाई हुआ करता था ,उसने एक बगीचे में अपने शराब के कारोबार को फैला रखा था जहाँ उन्होंने यह कारोबार फैला रखा था उसके ठीक नीचे नाग नागिन का एक जोड़ा रहता था जो कि वहां बहने  वाली शराब से बहुत परेशान था एक दिन उन्होंने भागवान विष्णु से दुर्जनसाल के बारे में शिकायत की | भगवान विष्णु ने कहा की प्रथ्वी पर बगड़ावतों से ज्यादा बलिष्ठ कोई नहीं है अतः उसे सिर्फ बगड़ावत ही सुधार  सकते हैं.|
 
आखिर भगवान विष्णु जोगी का रूप धारण कर सबाई भोज के दरवाजे पर पहुचे और सबाई भोज और साधू माता को यह वरदान दिया कि भगवान उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे |
 
 
निरंतर ...............

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