जैसे ही वे यज्ञ में जाने को तैयार हुए तभी शंकर ने कहा कि उन्हें भूख लग रही है कुछ खाने को दें.ऋषियों ने उनसे आग्रह किया कि वे फल खाकर अपनी क्षुद्रा को शांत करलें . लेकिन शंकर उनके इस आग्रह से सहमत नहीं हुए बोले नहीं आज हमें इन फलों से हटकर कुछ और खाने को चाहिए.
ऋषियों ने बहुत तलाश किया लेकिन उस जंगल में उन्हें फलों के अलावा कुछ नहीं मिला तब वे शंकर से बोले अभी आप फल खा लीजिये बाद में कुछ और भी ला देंगे.शंकर ने उनके आग्रह को स्वीकार कर फल खाकर अपनी क्षुद्रा को शांत किया और स्वयं ब्रह्मा के यज्ञ में पहुँच गए चूंकि शंकर पाप कर्म में लिप्त रहा करते थे इस कारण उस यज्ञ में विघ्न पड़ गया .
तब शंकर ने ब्रह्मा से आग्रह किया कि वे उन्हें ऐसा उपाय बताएं जिससे कि वे पापों के बंधन से मुक्त हो सकें .तब ब्रह्मा ने कहा यह तभी संभव हैं जब ये चौबीसों ऋषि भविष्य में आपके शरीर के द्वारा अस्तित्व में आयें .और आगे जाकर इन्ही चौबीसों ऋषियों ने 24 गुर्जर भाइयों के रूप में जन्म लिया.
गुर्जरों का एतिहासिक वर्णन अगले अंक में.............
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