मंगलवार, 30 नवंबर 2010

हम सब गुर्जर एक हैं: गुर्जर.........न हारा है और न कभी हारेगा

हम सब गुर्जर एक हैं: गुर्जर.........न हारा है और न कभी हारेगा: "गुर्जर,गुज्जर या फिर कुछ लोग हमें गूजर भी पुकारा करते हैं ,इसके अलावा बहुत से लोग अपने नाम के आगे अपना गोत्र जैसे बिधूरी ,कंसाना,छलोत्रे,भडा..."

गुर्जर.........न हारा है और न कभी हारेगा

गुर्जर,गुज्जर या फिर कुछ लोग हमें गूजर भी पुकारा करते हैं ,इसके अलावा बहुत से लोग अपने नाम के आगे अपना गोत्र जैसे बिधूरी ,कंसाना,छलोत्रे,भडाना,बिसोठिया आदि  जोड़ दिया करते हैं वास्तव इन सब में कोई भिन्नता नहीं है.हमारे समाज के सभी लोग एक हैं चाहे वह गुर्जर लिखे,गुज्जर लिखे या फिर अपने आपको गोत्र के नाम से संबोधित  करे.भारत के विभिन्न राज्यों मुख्यतः राजस्थान,हरियाणा,पंजाब,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश ,जम्मू कश्मीर,हिमाचल प्रदेश आदि में गुर्जरों की तादात अच्छी खासी देखी जा सकती है .एक ही समुदाय के होने पर भी हम लोगों में विभिदतायें देखने को मिलती हैं जो कि मुख्यतः रहन सहन,बेष भूषा ,रीति रिवाजों के कारन है,ऐसा सिर्फ विभिन्न राज्यों में ही नहीं बल्कि एक ही राज्य के गुर्जरों में भी देखने को मिल सकता है जैसे मध्य प्रदेश की  बात की जाये तो यहाँ हरदा तरफ के गुर्जरों और ग्वालियर भीं मुरैना तरफ के गुर्जरों का रहन सहन बोली बानी बिलकुल अलग है ऐसे ही होशंगाबाद ,नरसिंहपुर ,राजगढ़ ,रायसेन के गुर्जरों के रहन सहन में अंतर देखा जा सकता है.भोपाल, इंदौर के गुर्जरों में ज्यादा अंतर नहीं मिलेगा क्योंकि यहाँ लगभग हर जगह के गुर्जर मिल जाते हैं.इतनी भिन्नताए होने के बाबजूद भी यह कहा जा सकता है गुर्जर कहीं का हो उसका रहन सहन कुछ भी हो उसकी बोली बानी कुछ भी हो हमें तो सिर्फ इस बात से मतलब होना चाहिए की वह गुर्जर है और हमारा समाज भाई है.गुर्जरों के पिछड़ेपन का मुख्य कारण मात्र यही है कि आज हम सिर्फ बेशभूषा और रहन सहन ,वातावरण के आधार पर एक दूसरे में विभिन्नताएं तलाशने लगते हैं.एक और मुख्य कारण कहा जा सकता है वह है प्रशासनिक और राजनीतिक ओहदा ,जैसा हम अन्य समाजों में देखते हैं कि हर इन्सान अपनी समाज को ऊपर उठाना चाहता है उदहारण के लिए राजस्थान को लिया जा सकता है जहाँ यदि मीणा समाज का कोई भी व्यक्ति किसी प्रशासनिक या राजनीतिक पद पर होता है तो वह अपने लोगों की भलाई के लिए ज्यादा से ज्यादा कार्य करता है इसी कारण आज वहां मीना समाज को वर्चस्व में देखा जा सकता है,जबकि हमारे समाज में ऐसा देखने को बहुत ही कम मिलता है ,हमारी समाज में यह सबसे बड़ी बुराई है की प्रशासनिक और राजनीतिक ओहदा पाकर समाज को बिलकुल भूल जाते हैं.आज जिस तरह से बैसला जी  और पायलट साहब देश के साथ साथ समाज की सेवा में लगे हुए हैं वैसे ही समाज के हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए और एक दूसरे का साथ देते हुए पूरी दुनिया को दिखा देना चाहिए कि  गुर्जर नाम का भी कोई समुदाय है जो कभी न हारा है और न कभी हारेगा,उसका जो हक है वह उससे कोई नहीं छीन सकता .